Friday 9 February 2018

Holi festival | Holi kyu manate hai | Holi me rang kyu samilit hai

Holi Festival in Hindi


वैसे तो Holi से आप सवी वाकिफ है फिर भी अप इस आर्टिकल में Holi के कुछ तथेअ के बारे में जानेंगे |

holi festival


रंगों के तेओहार के तोर पर मसहुर होली पगुन महीने में पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है | तेज संगीत और ढोलक के बिच एक दुसरे पर रंग और पानी फेका जाता है | भारत के अन्य तेव्हारो की तरह होली भी बुराई पर अच्छाई का प्रतिक है | प्राचीन पोरानिक कथा के अनुसार होली से हिरनकश्यप और भक्त प्रह्लाद की कहानी जुडी हुए है ये तो आप सवी जानते है लेकिन क्या आप ये जानते है की हम होली का भाग कैसे बने और हमलोग हली रंगों से ही क्यों खेलते है | ये कहानी भगवन बिशुनु के अवतार भगवन कृषण की समय तक जाती है | माना जाता है की भगवन कृषण रंगों से होली मानाते थे इसलिए होली का तरीका हे लोकप्रिय हो गया | वे वृयांदावान और गोकुल में अपने साथियों के साथ होली मानाते थे वे पुरे गाँव में मजाक भरी सैतानिया किया करते थे आज भी वृयांदावान में मस्ती भरी होली मनाई जाती है ऐसी होली कही भी नहीं मनाई जाती है |
होली बसंत का तेवहार है और इसके आने पर शरिद्या ख़तम हो जाती है | कुछ हिस्सों में इस तेवहार का सम्बन्ध बसंत की फसल पकने से भी है जिसके कारन किसान अच्छी फसल पैदा होने के कारन इनकी खुसी में भी होली मानाते है जिसके चलते होली को बसंत महोत्सव या काम्माहौत्सव भी बोला जाता है |

इसी के साथ आप ये भी जानते होंगे की होली के प्राचीन तेव्हार है | होली प्राचीन हिन्दू तेव्हारो में से एक है और ये इसमाशी के जनम के कइ वर्ष पहले से मनाया जा रहा है | होली का वर्णन जेम्नी के पूर्व मनसा सूत्र और कटक ग्रेह सूत्र में भी है | 
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